Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 102( NEW WAR-2)

"तुमने मुझे धक्का क्यूँ दिया..."वो बोली और फिर खांसने लगी...

"कितनी नाजुक है तू बिल्ली....  डर है कि कही कोई तुझे फूल से ना मार दे...
कितनी प्यारी है तेरी आँखे,डर है कि इन्हे कोई प्यार से ना मार दे..."

"मतलब..."

"कुछ  नही मैं तो बस math का एक फ़ॉर्मूला याद कर रहा था...."ईशा के कुछ ना समझने पर उदास होते हुए मैने अरुण की तरफ नज़र घुमाई ,ये देखने के लिए वो क्या कर रहा है. साले का कोई भरोषा नहीं..लास्ट टाइम जब यहाँ कैंटीन मे था तब हमें पुलिस स्टेशन जाना पड़ गया था.

दिव्या अब भी उस कैंटीन  वाले लड़के से भिड़ी हुई थी और अरुण,दिव्या को बार-बार शांत करने का असफल प्रयास कर रहा था....

"तू जा के उस चुहिया को समझाती क्यूँ नही,फालतू मे लोचा कर रेली है..."

"अभी तो ये शुरुआत है, तुम आगे देखना अभी वो इस छोटी सी बात को कन्ज़्यूमर फोरम तक ले जाने की बात करेगी..."एक प्यारी सी मुस्कान के साथ ऐश  बोली...और हुआ भी वैसा ही...दिव्या ने उस लड़के को धमकी दी

"यदि तूने इस चिप्स  के 5 अधिक लिए तो मैं कन्ज़्यूमर फोरम मे केस कर दूँगी..."

"ग़ज़ब ईशा..... तो ,मेरी तरह तेरा भी sixth sense काम करता है..."एक बार फिर से उसके शोल्डर पर धक्का देकर मैने कहा...

"ये तुम मुझे बार-बार धक्का क्यूँ दे रहे हो..."खिसियाते हुए उसने अपनी पूरी ताक़त के साथ मेरे शोल्डर पर प्रहार किया और जवाब मे मैं मुस्कुरा दिया और जैसे बहुत चोट मुझे लगी हो... मै अपने कंधे को एक्टिंग करते हुए सहलाने लगा

"कंस्यूमर फॉरम मे केस.... ये कौन सा पुलिस  स्टेशन है, जहा आप केस करोगी .."कैंटीन वाले लड़के ने दिव्या से पुछा...

"उपभोक्ता मंच..."अरुण ने उस लड़के को कन्ज़्यूमर फोरम का हिन्दी मे मतलब बताया...

"ठीक है ,10 ही दो...तुम भी क्या याद रखोगी.."दिव्या से परेशान होकर वो लड़का बोला....
.

दिव्या ने चिप्स का बिल पे किया और फिर आकर ऐश  के सामने वाली टेबल पर बैठ गयी....वो अब भी गुस्से मे थी..

"bloody corrupted people... You know, Aish.... ऐसे ही करप्टेड लोगो के कारण हमारा देश बर्बाद है..."

"बिल्कुल सही बात ..."मैं बीच मे ही बोल पड़ा...

"ओह ! अरमान...hiii ..."मुझे देखकर दिव्या बोली"तुम्हारा वो दोस्त है ना अरुण ,वो भी करप्षन मे इन्वॉल्व है...वो तो मुझे बोल रहा था कि मैं उस कैंटीन  वाले को 20 दे दूं..."

"और उसे ये आइडिया इन महाशय ने ही दिया होगा, दिव्या...."ऐश  बोली...जिसके बाद दिव्या का चेहरा मुझे अपने सामने बैठा देख एक बार फिर से लाल -पीला होने लगा और मैने वहाँ से चुप-चाप खिसकने मे ही अपनी भलाई समझी....

सच मे लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता...साली हरदम मस्त तरीके से बोर करती रहती है... कहा मै अपने प्यार का इजहार करने आया था और कहा 5 रुपये के पीछे मुझे अब कैंटीन से भागना पड़ रहा था.

मैं और अरुण कैंटीन  मे मामला सुलझाने गये थे लेकिन दिव्या के सच्चे देशभक्त होने के चलते हम दोनो ही सुलझ गये.. सुलझ क्या..बल्कि ये कहुकी दिव्या की अग्नि मे झुलस गये और खाली हाथ कैंटीन  से वापस आए.....

"देखा...अरमान.... मेरी वाली एक दम शरीफ है बे,.."

"और बेवकूफ़ भी.... 🤣 अब तू ही देख,  5 रुपये के चलते उसने कितना बड़ा तमाशा खड़ा कर दिया..."

"बाकलोल है क्या...दिव्या सच तो बोल रही थी कि वो 5 अधिक क्यूँ दे और वो अपने मज़बूत इरादे पर कायम रही,जिसका नतीजा तूने भी देखा."अपना सीना चौड़ा करते हुए अरुण बोला..."इसमे तुझे वो बेवकूफ़ कहाँ से दिख गयी..."

"तूने अभी का नतीजा देखा,लेकिन मैने उसके इस कारनामे से आने वाले कल का नतीजा देखा...अब जानता है जब वो कल कैंटीन  मे अपना पेट भरने जाएगी तो क्या होगा..."

"क्या होगा..."

"होगा ये मेरे लल्लू लाल की....  कैंटीन  वाला उसे एक ग्लास पानी तक नही देगा और फिर वो यहाँ से कई  किलोमेटेर दूर सिर्फ़ एक कोल्ड ड्रिंक पीने जाएगी... अब पैदल तो जाएगी नहीं, जाएगी तो कार मे ही... उसमे कितने का डीजल लगेगा रोज...???"

"सत्य के रास्ते मे चलने पर ऐसी मुश्किलो का सामना करना पड़ता है बे..तुम साले छोटे लोग क्या समझोगे इस बात को "

"उसे बेवकूफ़ मैने इसलिए कहा क्यूंकी वो उस लड़के से लड़ाई कर रही थी,जिसकी औकात कैंटीन  मे सिर्फ़ टेबल सॉफ करने की है,यदि उसे सच मे भ्रष्टाचार मिटाना है तो डाइरेक्ट कैंटीन  के मालिक से बात करना था,जो कि उसने नही किया,चल अब ये सब छोड़ और ये बता की आज लैब किस सब्जेक्ट का है..."

"मेरे ख़याल से  प्रोग्रामिंग की..."

"मुझे भी कुछ  ऐसा ही लग रहा है..."

इसके बाद हम दोनों अगल बगल से गुजरने वाली लड़कियों को और उनके अंगों को देखकर आपस मे सेक्सी -सेक्सी बाते करना शुरू कर दिया और ऐसे ही इधर -उधर की सेक्सी -सेक्सी बाते करते हुए हम दोनों अपनी क्लास की तरफ बढ़ने लगे.. और थोड़ी देर बाद जब हम दोनों ने अपने आस -पास का जायजा लिया तो एक -दूसरे पर चिल्लाये....
"साले कुत्ते....हमारी क्लास तो पीछे छूट गयी..."

एक तो साला ये सी प्रोग्रामिंग  का सब्जेक्ट हम मैकेनिकल वालो को क्यों लगवा दिया था..मेरी समझ मे आज तक नहीं आया... ऑप्शनल था, तो कॉलेज के प्रिंसिपल ने होशियारी दिखाते हुए C प्रोग्रामिंग ऐड करवा दिया... अब कुछ लोग कहेँगे की इसकी नॉलेज होना जरूरी है, तुम्हारा ही डेवलपमेंट होगा तो बता दू... इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स गेट को ध्यान मे रखकर तैयारी करते है और जो सब्जेक्ट gate के सिलेबस मे नहीं रहता... उसको बस ऐसे ही ऊपर ऊपर से देख के पास होने लायक पढ के जाते है.... अब कुछ लोग कहेँगे की... अरमान, सब तुम्हारी तरह उल्लू नहीं है, होशियार लोग सभी सब्जेक्ट को गहराई से पढ़ते है... I Agree. पर  मेरा एक दोस्त जो आज ISRO मे है, वो तो उल्लू नहीं हो सकता... और ये ट्रिक उसी ने मुझे बताई थी. सौ बात की एक बात... जब एक प्लेयर जो क्रिकेट खेलता है तो उसे क्रिकेट की प्रैक्टिस  ही करानी चाहिए... ना की बेसबॉल की.....

Anyway, तो हम सभी C प्रोग्रामिंग की लैब अटेंड करने अपने क्लास से निकले. लैब मे 5 फुट की एक पतली-दुबली लेडी टीचर कंप्यूटर को कमांड पे कमांड दिए जा रही थी और इधर मैं कन्फ्यूज़ पे कन्फ्यूज़ हुए जा रहा था कि ये साली कर क्या रही है.. .क्लास के कुछ  होशियार स्टूडेंट्स ,जो कि यहाँ के लोकल थे और घर मे दिन भर कंप्यूटर से चिपके रहते थे या फिर vacation मे कंप्यूटर क्लासेस ज्वाइन कर लेते थे, सिर्फ ,उन्हे ही सब समझ आ रहा था, मैं तो इस सब्जेक्ट मे वर्जिन था इसलिए फिलहाल तो मैं चुप होकर उन सबको देख रहा था और सोच रहा था की... यार ये लोग कितने होशियार है... मैं ही एक बकलोल हूँ क्या पूरी दुनिया मे....? पर मै वहा अकेला नहीं था... जो खुद को पूरी दुनिया मे अकेला बकलोल कह रहा था....

"अरमान , तुझे कुछ  समझ आया क्या.."अरुण बेचैन होते हुए मुझसे पुछा...

"मै तो पूरा समझ गया, बता तुझे क्या बताऊ "

"बस बस मै भी पूरा समझ गया...अब......"दाँत दिखाते हुए अरुण बोला... उसकी उदासी,मुझे भी कुछ नहीं आता... ये देखकर एकदम से दूर हो गई थी..

अरुण ने फिर सौरभ को पकड़ा और उससे पुछने लगा कि कंप्यूटर के अंदर ये कैसा जादू चल रहा है....

"मैं वर्जिन हूँ, भाई....  इस मामले मे..."सौरभ बोला..

"और तू सुलभ,क्या तू बता सकता है कि ये जादू जो कंप्यूटर के अंदर चल रहा है ,उसका राज़ क्या है..."

"Mee Too Virgin in this mind freaking, dimag ka dahi banaying  subject..."

"साले सब देहाती हो,किसी को कुछ  नही आता..."

"टेंशन कईकू ले रहा है बावा, दूसरे की कॉपी से कॉपी करने का..."सामने कंप्यूटर के अंदर हो रये जादू को देखकर सौरभ ने कहा...

"तब तक क्या पकड़ के हिलाऊ, 2 घंटे के लैब  मे कुछ  तो करना माँगता ना बीड़ू....,जिससे अपना टाइम मक्खन के माफिक कट जाए.

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